Modern Concept of Atomic, Thomson's atomic model,Rutherford's Atomic Model/Gold Paper Experiment,Bohr's Atomic Model, Hydrogen Spectrum Class 12 (Atomic Physics)


Class 12 Atomic Physics (NCERT)

परमाणु मॉडल :- रमाणु की सरंचना के संदर्भ में भिन्न भिन्न वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर अपने परमाणु मॉडल प्रस्तुत किए गए।        

परमाणु सिद्धांत की आधुनिक अवधारणा :-
परमाणु सिद्धांत की आधुनिक अवधारणा निम्न है :-
• परमाणु संरचना का आधुनिक मॉडल तरंग यांत्रिकी सिद्धांत पर आधारित है। 
• सर्वप्रथम परमाणु अविभाज्य कण माना लेकिन जे जे थॉमसन, रदरफोर्ड, नील्स बोर ने उपकणों से बना माना। ये उपकण इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन है। 
• रदरफोर्ड ने परमाणु की संरचना प्रस्तुत की परंतु परमाणु के स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं कर सकता। 
• नील्स बोर रदरफोर्ड मॉडल में संशोधित किया जो क्वांटम यांत्रिकी सिद्धांत पर आधारित था।

          थॉमसन का परमाणु मॉडल

Thomson's atomic model
थॉमसन के अनुसार परमाणु 10-¹⁰ मीटर त्रिज्या का धनावेशित गोला होता है, जिसमें इलेक्ट्रॉन उसी प्रकार से वितरित होते है जिस प्रकार से तरबूज में बीज इस कारण इस मॉडल को "तरबूज बीज मॉडल" या "प्लम  पुडिंग" कहा जाता है। ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन परमाणु को विद्युत उदासीन बनाए रखते है।

थॉमसन परमाणु मॉडल की कमियां :-
1) थॉमसन परमाणु मॉडल रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग की व्याख्या करने में असमर्थ रहा।
2) यह मॉडल स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में असमर्थ रहा।
3) यह मॉडल इलेक्ट्रॉन के गति की व्याख्या नहीं कर सका।

       रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल
थॉमसन के पश्चात रदरफोर्ड ने अपना परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया इस हेतु उन्होंने रेडियोएक्टिव पदार्थ से उत्सर्जित α-कणों को पतली स्वर्ण पत्र पर आपतित किया, ZnS के पर्दे पर निम्न प्रेक्षण व निष्कर्ष प्राप्त किए :-
1) अधिकांश α कण सीधे निकल जाते है अर्थात परमाणु का अधिकांश भाग खोखला होता है।
2) कुछ कण विक्षेपित हो जाते है अर्थात परमाणु के मध्य में कोई धनावेशित भाग उपस्थित है जिसे रदरफोर्ड ने नाभिक कहा।
3) लगभग 20,000 कणों में से केवल एक कण पुनः उसी पथ पर लौट आता है अर्थात नाभिक का आकार अति सूक्ष्म (10-¹⁵ मीटर) का होता है।
4) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते है ताकि परमाणु विद्युत उदासीन बना रहे।
प्रकीर्णित α-कणों का पथ अतिपरवलयाकार होता है।
स्वर्ण पत्र प्रयोग

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की कमियां :-
1) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते है। चक्कर लगाता हुआ इलेक्ट्रॉन निरंतर ऊर्जा का ह्रास करेगा/ एक निश्चित सीमा पश्चात इलेक्ट्रॉन नाभिक में समा जाना चाहिए , रदरफोर्ड इसकी व्याख्या करने में असमर्थ रहा।
2) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में असमर्थ रहा।

• नाभिक के आकार का निर्धारण :-
α-कण स्वर्ण नाभिक के जितने पास आ सकता है उसे α-कण के लिए निकटतम पहुंच की दूरी कहते है। इस दूरी द्वारा नाभिक के आकार का निर्धारण किया जा सकता है।

- माना कोई α-कण जिसकी गतिज ऊर्जा Ek है, नाभिक पर आपतित होता है, के निकटतम पहुंच की दूरी r पर संपूर्ण गतिज ऊर्जा प्रतिकर्षण के कारण स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है अतः
        गतिज ऊर्जा = स्थितिज ऊर्जा
                  Ek         = K(zp)(2p)/r
                जहां  p = e
                  Ek     = K(ze)(2e)/r
                   r      = 2Kze²/E
उपरोक्त सूत्र द्वारा नाभिक के आकार का निर्धारण किया जा सकता है।

संघट्ट प्राचल एवं प्रकीर्णन कोण में संबंध :- 
संघट्ट प्राचल एवं प्रकीर्णन कोण में संबंध (Class-12, Physics)
प्रकीर्णन कोण व संघट्ट प्राचल में निम्न संबंध होता है 
                  b = (kze²/Ek) cotθ/2
θ  = प्रकीर्णन कोण
Ek = गतिज ऊर्जा
Z  = परमाणु क्रमांक
प्रकीर्णन कोण बढ़ने से cotθ/2 घटता है, तो संघट्ट प्राचल का मान घटता है।
                     θ12             b1<b2
      
       नील्स बोर का परमाणु मॉडल
रदरफोर्ड के पश्चात नील्सबोर ने अपना परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया इस परमाणु मॉडल की मुख्य तीन परिकल्पना है।
1. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर व्रताकार कक्षाओं में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेंद्रिय बल इलेक्ट्रॉन व नाभिक के मध्य कूलाम बल द्वारा प्रदान किया जाता है।
           अभिकेंद्रीय बल = कूलाम बल
                      mv²/r  = kq1q2/r²
                    mv²/r = k(ze)(e)/r²
                    mv²/r  = kze²/r²

2. क्वांटम प्रतिबन्ध :- इलेक्ट्रॉन उन्ही कक्षाओं में चक्कर लगाते है जिनका कोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणज होता है।
              कोणीय संवेग = nh/2π
           {n = 1,2,3,.......} मुख्य क्वांटम संख्या
                         mvr = nh/2π

3. यदि कोई इलेक्ट्रॉन उच्च कक्षा से निम्न कक्षा में प्रवेश करता है तो वह ऊर्जा का त्याग करेगा तथा यदि निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में प्रवेश करता है तो ऊर्जा को ग्रहण करेगा/ ग्रहण की गई अथवा उत्सर्जित ऊर्जा दोनों ऊर्जा स्तरों के मध्य ऊर्जाअन्तर के बराबर होती है।
                       En- En1 = hν

     n वीं कक्षा की त्रिज्या ज्ञात करना
माना किसी nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन का वेग vn व इस कक्षा की त्रिज्या rn है
बोर की प्रथम परिकल्पना से 
                mvn²/rn = kze²/rn²           ......(1)

बोर की द्वितीय परिकल्पना से 
                mvnrn = nh/2π
                       v= nh/ 2πmrn       ......(2)
vn का मान समीकरण 1 में रखने पर
   {m(nh/2πmrn)²(rn)} = kze²/rn²
   {m n²h²/4π²m²rn² (rn)} = kze²/(rn
     n²h²/4π²
           
                
              


   










                                 



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