Class 12 Dispersion Of Light, Scattering Of Light (प्रकाश का प्रकीर्णन), Chromatic Aberration(वर्ण विपथन),Angular Dispersion (कोणीय विक्षेपण),Dispersion Capability(वर्ण विक्षेपण क्षमता)

 


• प्रकाश का विक्षेपण/ वर्ण विक्षेपण       (Dispersion Of Light):-

श्वेत प्रकाश अनेक रंगों का प्रकाश का मिश्रण होता है, सूर्य से आने वाला प्रकाश श्वेत प्रकाश कहलाता है।
"जब श्वेत प्रकाश की किरण किसी पारदर्शी प्रिज्म पर आपतित होती है तो अपवर्तन के पश्चात वह सात मुख्य रंगों में विभाजित हो जाती है" यह घटना प्रकाश का विक्षेपण/ वर्ण विक्षेपण कहलाती है।

प्रिज्म से वर्ण विक्षेपण के पश्चात विभिन्न संगठक रंग (V,I,B,G,Y,O,R) (बैंगनी,जमुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी, लाल) इस क्रम में दिखाई देते है।

वर्ण विक्षेपण का मुख्य कारण:-       

निर्वात तथा वायु में सभी रंगों की प्रकाश किरणें एक ही चाल 3×10⁸ m/s से चलती है, किंतु पदार्थिक माध्यम में भिन्न-भिन्न रंगों के प्रकाश की चाल अलग-अलग होती है जिसके कारण वर्ण विक्षेपण उत्पन्न होता है। 

Important Points:-

(1) कांच में लाल रंग के प्रकाश की चाल सबसे अधिक तथा बैंगनी रंग के प्रकाश की चाल सबसे कम होती है।

(2) किसी पदार्थ के अपवर्तनांक μ का मान उस पदार्थ में उपस्थित प्रकाश की चाल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अतः कांच का अपवर्तनांक लाल प्रकाश के लिए सबसे कम तथा बैंगनी प्रकाश के लिए सबसे अधिक होता है।

(3) इस प्रकार बैंगनी प्रकाश का विचलन  सबसे अधिकलाल प्रकाश का विचलन सबसे कम होता है।

वर्ण विपथन (Chromatic Aberration):-

लेंस द्वारा निर्मित श्वेत वस्तु का प्रतिबिंब साधारणतः रंगीन, अस्पष्ट, होता है, लेंस द्वारा उत्पन्न प्रतिबिंब के इस दोष को ही वर्ण विपथन कहते है।

Note:-
कांच के स्लैब में प्रकाश के प्रवेश करने पर वह अपने संगठक रंगों में विभक्त हो जाता है , विभिन्न रंगों का यह प्रकाश जब दूसरे फलक से बाहर निकलता है तो पुनः श्वेत प्रकाश उत्पन्न करता है। अतः कांच के स्लैब से प्रक्षेपण व विचलन दोनो हो घटनाएं नही होती तथा स्लैब द्वारा वर्ण विक्षेपण भी नहीं होता।

कोणीय विक्षेपण (Angular Dispersion):-

जब श्वेत प्रकाश किरण किसी प्रिज्म से होकर गुजरती है तो इसके सीमांत कोणों के लिए विचलन कोणों का अंतर कोणीय विक्षेपन कहलाता है।
θ = 𝛿v-𝛿r             .....(1)                 {where 𝛿=(μ-1)A
θ =  [(μv-1)A]-[(μr-1)A]
θ =  [(μv-1)A-(μr+1)A]
θ =  A[μv-1-μr+1]
θ =  A[μv-μr]

वर्ण विक्षेपण क्षमता                         (Character Deflection Capability:-

दो रंगों का कोणीय विक्षेपण (θ) एवं मध्य मान रंग के विचलन (𝛿y) के अनुपात को उन रंगों के लिए प्रिज्म की वर्ण विक्षेपण क्षमता कहते है। इसे 'ω' से व्यक्त करते है।
ω = θ/𝛿y                                     {where  θ = 𝛿v-𝛿r 
ω = (𝛿v-𝛿r)/𝛿y       .....(2)
We know that
𝛿 = (μ-1)A
So
𝛿v = (μv-1)A
𝛿r =  (μr-1)A
𝛿y = (μy-1)A
All the values put on equation (2)
ω = {(μv-1)A-(μr-1)A} / (μy-1)A
ω = {μv-1-μr+1}A / (μy-1)A
ω = (μv-μr) / (μy-1)

यहां μv,μr,μy क्रमशः बैंगनी, लाल, पीले रंग के लिए अपवर्तनांक है।



प्रकाश का प्रकीर्णन:-

जब सूर्य का श्वेत प्रकाश वायुमंडल में गैस कणों पर आपतित होता है तो इसका किसी निश्चित दिशा में परावर्तन न होकर यह विभिन्न दिशाओं में फैल जाता है, इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।
रैले तथा जीन्स के अनुसार प्रकीर्णन प्रकाश की तीव्रता, प्रकाश  के तरंगदैर्घ्य के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
I ∝  1/λ⁴              where (ν=1/λ)
I ∝ ν             
- स्पष्टत: बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सर्वाधिक लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।        
- प्रकाश की तरंगदैर्घ्य के अलावा प्रकाश का प्रकीर्णन, प्रकीर्णन के आकार पर भी निर्भर करता है।
                               X ≈ λ         रैले प्रकीर्णन संभव
                               X>>>>λ    रैले प्रकीर्णन असंभव

प्रकीर्णन के उदाहरण:-

(1) आसमान का रंग नीला दिखाई देना:-  

जब सूर्य का श्वेत प्रकाश वायुमंडल में से गुजरता है तो वह वायु के कणों पर आपतित होता है, क्योंकि सूर्य का श्वेत प्रकाश V,I,B,G,Y,O,R से बना होता है "अतः बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होने के कारण यह आसमान में फैल जाता है  और आसमान नीला दिखाई देता है। यदि वायुमंडल नहीं होता तो आसमान काला दिखाई देता व दिन में भी तारे दिखाई देते।

सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना:-

सूर्योदय तथा सूर्यास्त के पश्चात सूर्य से आने वाली प्रकाश किरणें पृथ्वी के वायुमंडल में लंबी दूरी तय करके हमारी आंखों तक पहुंचती है।" वायुमंडल में उपस्थित कणों के कारण इसमें अत्यधिक मात्रा में आसमानी रंग का प्रकीर्णन हो जाता है, जिससे आसमानी रंग की अनुपस्थिति तथा लाल रंग की अधिकता हो जाती है।" इसी कारण सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। 

(3) खतरे के निशान लाल रंग के बनाए जाते है:-

लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सर्वाधिक होती है,अतः इसका प्रकीर्णन सबसे कम होता है अतः लाल रंग अधिक दूरी तक दिखाई देता है, इसी कारण खतरे के निशान लाल रंग के बनाए जाते है।

इंद्रधनु:-

जब हल्की बरसात हो रही हो तो बरसात के तुरंत बाद जलवाष्प की बूंदे वायुमंडल में तैरती है। "जब इन बूंदों पर सूर्य का श्वेत प्रकाश आपतित होता है तो सात रंगों की धनुष की आकृति एक पट्टी प्राप्त होती है इसे इंद्रधनुष कहते है।"
इंद्रधनुष प्रकाश रंगों के अपवर्तन, वर्ण विक्षेपण तथा पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उदाहरण है।
इन्द्रधनुष तब दिखाई देता है, जब सूर्य प्रेक्षक सूर्य की पीठ की तरफ होता है।
कभी-कभी दो इंद्रधनुष एक साथ दिखाई देते है इसमें नीचे वाले इंद्रधनुष में रंगों का क्रम वही होता है जो प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम में होता है अर्थात V,I,B,G,Y,O,R इसे प्राथमिक इंद्रधनुष कहते है, तथा इसके ऊपर दिखाई देने वाले इंद्रधनुष में रंगों का क्रम विपरीत होता है अर्थात R,O,Y,G,B,I,V इसे द्वितीयक इंद्रधनुष कहते है। इसमें रंगों की तीव्रता प्रारंभिक इंद्रधनुष की तुलना में कम होती है।
प्राथमिक इंद्रधनुष, द्वितीयक इंद्रधनुष की तुलना में अधिक चमकीला होता है।
प्राथमिक इंद्रधनुष का निर्माण दो अपवर्तन और एक आंतरिक परावर्तन के कारण होता है तथा द्वितीयक इंद्रधनुष का निर्माण दो अपवर्तन तथा दो आंतरिक परावर्तन के कारण होता है।







  





                             




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