Class 12, ncert/ rbse Huygen's Wave Theory, Laws Of Reflection & Refraction by Huygen's Principle, Wave front ,(Speherical ,Cylindrical, Flat Wave Front)

 



हाईगेन्स का तरंग सिद्धांत :-   (Huygen's Wave Theory)

सन् 1678 में हाईगेन्स नामक वैज्ञानिक ने प्रकाश की प्रकृति के लिए तरंग सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश स्रोत से प्रकाश तरंगों के रूप में चलता है, उस समय केवल यांत्रिक तरंगे(Mechanical Waves) ही ज्ञात थी जिनके लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। इस तरंग सिद्धांत की वैद्यता के लिए यह माना गया कि प्रकाश तरंगों के संचरण के लिए कोई माध्यम उपस्थित होना चाहिए, जिसके गुण तरंग संचरण के अनुरूप हो तथा जो आकाश में सर्वव्यापी हो , इस काल्पनिक माध्यम का नाम ईथर रखा गया।
*Note :- इसके पश्चात प्रकाश के ध्रुवण की खोज हुई और फ्रेनल ने ध्रुवण की व्याख्या के लिए यह सुझाव दिया कि "प्रकाश तरंगे अनुदैर्घ्य न होकर अनुप्रस्थ प्रकृति की होती है।" ईथर माध्यम की उपस्थिति का पता लगाने के लिए माइकलसन् मोरले ने प्रयोग किया तथा प्रत्येक परिस्थिति में नकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए। 

       •तरंगाग्र(Wave Front) :-

Wave Front


यदि हम माध्यम में कोई ऐसा पृष्ठ खींचे जिसमें स्थित सभी कण कंपन्न की समान कला में हो  ऐसे पृष्ठ को तरंगाग्र कहते है। समांग माध्यम में किसी तरंग का तरंगाग्र तरंग के संचरण की दिशा के लम्वबत होता है अतः तरंगाग्र के अभिलम्बवत खींची गई रेखा तरंग के संचरण की दिशा को प्रदर्शित करती है, इसे किरण कहते है

तरंगाग्र के प्रकार :-
(1) गोलिय तरंगाग्र (Spherical Wave Front):-  जब प्रकाश स्त्रोत एक बिंदु स्त्रोत होता है तो तरंगाग्र गोलिय या गोलाकार होता है यह उन सभी बिंदुओं का बिंदुपथ होता है जो बिंदुवत स्त्रोत से समान दूरी पर होते है।
Spherical Wave Front
(2)बेलनाकार तरंगाग्र(Cylindrical Wave Front) 
जब प्रकाश का स्त्रोत किसी छड़ या रेखीय अकार जैसा स्लिट होता है तो इससे प्राप्त तरंगाग्र बेलनाकार होता है,यह उन सभी बिंदुओं का बिंदुपथ होता है जो रेखीय स्त्रोत से समान दूरी पर होते है।
Cylindrical Wave Front


(3) समतल तरंगाग्र (Plane Wave Front) :-        जब प्रकाश का बिन्दु स्त्रोत या रेखीय स्त्रोत बहुत अधिक दूरी पर हो तो क्रमशः गोलीय एवं बेलनाकार तरंगाग्रों का आकर बहुत बड़ा हो जाता है, जिसे समतल तरंगाग्र माना जाता है।
Plane Wave Front


हाईगेन्स की द्वितीयक तरंगिकाओं का सिद्धांत(Huygens's theory of secondary wavelets):-

हाईगेन्स ने प्रकाश की तरंग प्रकृति देते हुए बताया कि प्रत्येक प्रकाश स्रोत से प्रकाश तरंगाग्रो के रूप में चलता है, यह प्राथमिक तरंगाग्र कहलाता है। दिए गए तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु नए स्रोत की भांति कार्य करता है जो सभी दिशाओं में विक्षोभ उत्पन्न करता है, इन्हें द्वितीयक तरंगिकाएं कहते है। ये द्वितीयक तरंगिकाएं माध्यम में सभी दिशाओं में प्रकाश के वेग से गमन करती है। किसी भी क्षण उत्पन्न हुए द्वितीयक तरंगिकाओं से आगे की दिशा में स्पर्शीय पृष्ठ या आवरण एक नवीन तरंगाग्र का निर्माण करता है, इसे द्वितीयक तरंगाग्र कहते है। तरंगाग्र माध्यम में प्रकाश के वेग से गतिमान होता है तथा तरंगाग्र के किसी भी बिंदु पर अभिलम्ब प्रकाश किरण को प्रदर्शित करता है। प्रकाश की किरण प्रकाश संचरण की दिशा को बताती है। 
Huygen's Principle Of Secondary Wavelets


माना चित्रानुसार S एक बिंदु प्रकाश स्रोत है। S को केंद्र मानकर खींचे गए चाप AB पर स्थित माध्यम का प्रत्येक कण एक ही कला में कंपन्न करता है इसलिए AB एक गोलीय तरंगाग्र का भाग होगा, इस तरंगाग्र पर स्थित प्रत्येक कण नवीन तरंगों का स्त्रोत एवम केंद्र बन जाएगा एवं इसके चारों ओर द्वितीयक तरंगिकाएं उत्सर्जित होंगी। प्रकाश का वेग C होने के कारण प्रकाश t समय में Ct दूरी तय करेगा इसलिए t समय पश्चात् तरंग के तरंगाग्र का निर्धारण करने के लिए AB पर स्थित प्रत्येक बिंदु को केंद्र मानकर Ct त्रिज्या का वृत्त खींचा जाता है तथा इन सभी नवीन वृत्तों के अग्र दिशा में स्पर्शीय पृष्ठ A1,B1 खींचा जाता है। A1 B1 ही नवीन द्वितीयक तरंगाग्र है। नवीन वृत्तों के पश्च दिशा में स्पर्श रेखीय पृष्ठ A2 B2  को भी पृष्ठ द्वितीयक तरंगाग्र कहते है परंतु हाईगेन्स के सिद्धांत से ऊर्जा का प्रवाह केवल अग्र दिशा में होता है, स्त्रोत से अधिक दूरी पर इन तरंगाग्रों की आकृति समतल प्रतीत होती है।

• हाईगेन्स के तरंग सिद्धांत से परावर्तन की व्याख्या :-

Huygen's Theory-Enforcement
MM' एक परावर्तक पृष्ठ है। AB आपतित समतल तरंगाग्र है। 1,2,3 प्रकाश किरणें है। तरंगाग्र का A बिन्दु पहले आपतित होता है अतः प्रकाश A से पहले परावर्तित हो जाता है B से आपतित प्रकाश 3 पृष्ठ पर आपतन में t समय लगता है। इस दौरान यह BB'= Ct दूरी तय करती है। A को केंद्र मानकर परावर्तित‌ किरण पर Ct त्रिज्या का चाप काटते है जो A' पर मिलता है। अतः AA'=CtA'B' को मिलाते है इनको मिलाने पर  A'B' एक पृष्ठ प्राप्त होता है जिसे द्वितीयक तरंगाग्र कहते है।1',2', तथा 3' परावर्तित किरणें है।

By ∆ABB' & ∆AA'B 
AB' = AB'         (उभयनिष्ठ भुजा)
AA' = Ct = BB'
∠ABB' = ∠AA'B = 90°
स्पष्टत:
∆ABB'≈∆AA'B
अर्थात
∠i = ∠r (जो कि परावर्तन का नियम है)

हाईगेन्स के तरंग सिद्धांत से अपवर्तन की व्याख्या :-



MM' अपवर्तक पृष्ठ है , AB आपतित समतल तरंगाग्र है।
1,2,3 आपतित प्रकाश किरणें ,माध्यम के एक तरफ का वेग C1 व दूसरी तरफ C2 है। प्रकाश किरण एक पृष्ठ पर पहले आती है अतः पहले अपवर्तित हो जाती है। प्रकाश किरण 3 अपवर्तन में t समय लेती है तथा C1t दूरी तय करती है, फिर B' पर आकर अपवर्तित हो जाती है। A' को केंद्र मानकर अपवर्तित प्रकाश किरण पर चाप काटते है, जो A' पर मिलता है। C2t त्रिज्या का चाप AA' = C2t

By ∆ABB' & ∆AA'B'
∆ABB'
Sin i = BB'/AB'                {where BB' = C1t}
Sin i = C1t/AB'         ........(1)
∆AA'B'
Sin r = AA'/AB'               {where AA'= C2t}
Sin r = C2t/AB'        ........(2)

from the definition of refraction
 Sini / Sin r = (C1t/AB)×(AB/C2t)
Sin i / Sin r = C1/C2
Sin i / Sin r =  μ = C1/C2

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